गवरी क्या है गवरी कैसे लेते हैं
गवरी भील जनजाति द्वारा किया जाने वाला एक नृत्य है जो सावन व भादो मास के दौरान किया जाता है,गवरी के मुख्य पात्र राय एवं बुढ़िया है अलग-अलग स्थान पर गवरी में भिन्नता देखी जा सकती है
गवरी ने आदिवासियों द्वारा तप और साधना का एक अलग ही रूप होता है जिसमें यह सवा महीने तकव्रत रखते हैंजिस की पैरों में चप्पल न पहनना हरी सब्जियां ना खाना पूरे दिन भूखे रहकर शाम को व्रत खोलना इत्यादि सवा महीने तक गवरी के मुख्य पात्र जो होते हैं वह नहाते भी नहीं है
गवरी के अंदर आपको आदिवासी संस्कृति की अलग ही झलक दिखती है जिसमें यह पुरानी कथाओं पर मध्य रूप में अपनी प्रस्तुति देते हैंसाथ में देवी देवताओंकी रंगमंच में प्रस्तुति देते हुए देखा जा सकता है
गवरी में मुख्य वाद्य यंत्र मादल होता हे
बड़गांव गवरी वालावण
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